Monday, July 11, 2016

सामने बैठे तो जैसे ...


सामने बैठे तो जैसे हम उन्ही के हो गए
बात करते थे वो अपनी हम उन्ही में खो गए
आपके के आने से पहले तप रही थी ज़िंदगी
आप आये तो लगा है शोले पानी हो गए
सदियों से सोये नहीं जगा रही थी गर्दिशें
आपके दामन में आकर चैन से हम सो गए
गेसुओं में आपके फँस गयी यह शाम भी
आपकी सोहबत में देखो क्या से क्या हम हो गए
लग ही जाते हैं अक्सर दाग़ है दाग़ों का क्या
आप जब सुन न सके हम महफ़िलों के हो गए
नरेश मधुकर ©

No comments:

Post a Comment