कट कट कर मूरत भया तब जगत झुकाए शीश
©2014
मन के कहे सौ से जुड़ो एक न चले संग
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कर्मवीर बन जी लीजीये रहिये प्रभु के दास
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हर विफल जीवन का भी कारण रहत कुनार ।।
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जग भले तज दे उसे वही लगावे पार
नरेश मधुकर
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हंस कर जीवन काटिए जीवन दिन दो चार
नरेश मधुकर
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खुद को मार कर जो भी जीया सो मरे सैकड़ों बार
नरेश मधुकर
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खुद ही सब कुछ पा लेगा वो जो पूत भया सपूत
नरेश मधुकर
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संयम से काटो समय देखो दुनियां के रंग ।।
सज्जन सुख नहीं पावत है दुर्जन जावत यहाँ जीत ।।
नरेश मधुकर
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जो जीते देव कहलावत है जो हारे सो हैवान ।।
नरेश मधुकर
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दस में से इक नर्प भया, जिसका प्रबल हो भाग ।।
नरेश मधुकर
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मर्यादा वश वन गए, लक्ष्मन सीता और राम ।।
नरेश मधुकर
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बिच्छू बचावन वारे तक को, ज्यूँ देवत है घाव ।।
नरेश मधुकर
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मधुकर मूरख देख कर बेहतर चुप हो जाएँ ।।
नरेश मधुकर
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खुद जीकर सीखन को जीवन लघु पड़ जाय ।।
नरेश मधुकर
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दुनियां काजर कोठरी ,दाग तो लग ही जाय ।।
नरेश मधुकर
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