मचा हैं कैसा ये बंवाल यारों
लोकतंत्र का देखो कमाल यारो
चुनना हैं अपना कातिल खुदी को
नहीं मुफलिसों का जिसको ख़याल यारों
ये गूंगों की बस्ती हैं ये बहरों की दुनियां
नहीं पूछता यहाँ कोई अब सवाल यारों
मर रहा हैं बापू के सपनों का भारत
इस बात का हैं हमको मलाल यारों ...
नरेश मधुकर
लोकतंत्र का देखो कमाल यारो
चुनना हैं अपना कातिल खुदी को
नहीं मुफलिसों का जिसको ख़याल यारों
ये गूंगों की बस्ती हैं ये बहरों की दुनियां
नहीं पूछता यहाँ कोई अब सवाल यारों
मर रहा हैं बापू के सपनों का भारत
इस बात का हैं हमको मलाल यारों ...
नरेश मधुकर