Monday, September 23, 2013

हैं हमको मलाल यारों ...

मचा हैं कैसा ये बंवाल यारों
लोकतंत्र का देखो कमाल यारो

चुनना हैं अपना कातिल खुदी को 
नहीं मुफलिसों का जिसको ख़याल यारों

ये गूंगों की बस्ती हैं ये बहरों की दुनियां 
नहीं पूछता यहाँ कोई अब सवाल यारों

मर रहा हैं बापू के सपनों का भारत 
इस बात का हैं हमको मलाल यारों ...

नरेश मधुकर

Thursday, September 12, 2013

बीती उमरिया

बिरह है कैसी , बीती उमरिया 
यादों की बारिश में ,भीगी चुनरिया 

किसी का मुझको , होने न दिया 
मुफलिसी तेरा , बड़ा शुक्रिया

मेरे बाद मुझको , ढूँढेगी दुनिया 
ऐसी कर यारा , तू भी इक दुआ 

जो मैंने न कहा , वो तुमने सुना 
इसीलिए तुझको , मैंने हमदम चुना

पथरीली रातों में ,सपना बुना
बड़ा दिल से मैंने, काम लिया ...

जय श्री कृष्ण

नरेश मधुकर

गुरूर हैं ...

हैसियतों और हसरतों से दूर हैं 
मधुकर अपने ही नशे में चूर हैं 

नहीं परेशान मैं तेरे नज्दीकों से 
बस तुझ से दूरी ना मंज़ूर हैं 

नशा अब कहाँ सवार होता हैं मुझपे 
बस तेरे हुस्न का सुरूर हैं 

हर शख्स की अपनी मोहब्बत 'मधुकर' 
हर आशिक का अपना गुरूर हैं ...

नरेश मधुकर