Wednesday, March 19, 2014

जाता नहीं

अश्क बारिश में छिपाकर  कोई मुस्कराता नहीं
हर किसी को  मधुकर  यह हुनर  आता नहीं

हैं नहीं आसान  इस दौर के  बन कर रहें
अपनी सलीबें काँधे पर कोई उठा पाता नहीं

जितने काँधे  उतने सर  अब दिखाई देते नहीं
कट जातें हैं सर जो इन्हें खुद झुका पाता नहीं

भूखे बच्चें  जलती बस्ती  और चंद कच्चे मकान
इनके सिवा अब शहर कुछ और दिखा पाता नहीं

ऐसे जलतें  मंज़रों से  गुज़र कर  आये हैं हम
इतनी आसानी से हम को कोई सता पाता नहीं

बीती मुद्दत जा चुके सब छोडकर मेरा मुकाम
उनका दिया दर्द कमबख्त अब तलक जाता नहीं ...

नरेश मधुकर
copyright © 2014

Friday, March 14, 2014

न मिलेंगे

रौशनी से बचकर चलो साए न मिलेंगे
तंग गलियों में अक्सर लोग पराये न मिलेंगे 

झूठ में तुम ज़माने के अगर घुल जाओगे 
लोग हाथों में पत्थर उठाये न मिलेंगे

बीता अरसा शहर का नक्श बदल गया 
रास्ते जिन पे चले हमतुम बताये न मिलेंगे 

दौरे वीरानगी का अब तो ये हाल हैं मधुकर

वो नयन जिसमे कभी ख्वाब समाये न मिलेंगे

मेरी मैयत में जो तुम आ सको तो ज़रूर आना
होंगे दुश्मन सभी मेरे दोस्त चाहे न मिलेंगे ...

नरेश मधुकर 
© 2014

ख्वाईश

जब ख्वाईश ख़्वाबों के सांचे में ढल जाती है 
खुशनुमा ज़िंदगी अक्सर बदल जाती है 

दौड़ मोहब्बत की जीत पाना मुश्किल हैं
हकीकत हसरत से आगे निकल जाती है 

ये दिलवालों का शहर है दिमाग्वालों हैरान मत हो 
यहाँ सिक्के नहीं प्यार की कौड़ियाँ भी चल जाती हैं 

नहीं मुमकिन यह तपिश थामे रखना अय दोस्त 
ऐसी कोशिशों में उंगलियाँ जल जाती हैं 

न देखो मुड़कर मेरी परवाह न करो मधुकर 
वफाएं मेरी अक्सर खता खाकर संभल जाती है

नरेश मधुकर  
© 2013




प्यार है नशा नहीं

हो जाते जिसके उम्र भर 
वो हमसफ़र मिला नहीं 
उतरता कैसे यूँ भला ?
ये प्यार है नशा नहीं 

क्या यकीन करोगी तुम
क्या होगा तुमको ऐतबार
मेरा सब कुछ तुम्ही तो हो
मेरा कोई खुदा नहीं

ढूंढोगे जब भी दिलसे मुझे
मिलूंगा मैं वहीं कहीं
याद ये रखना उम्र भर
मैं दूर हूँ जुदा नहीं

किसी से करूँ मैं क्या शिकायत
करूँ मैं किसी से क्या गिला
चाहा था जिसको उम्र भर
वो मेरा कभी हुआ नहीं ...

नरेश 'मधुकर'