Saturday, October 25, 2014

मधुकर दोहावली


मधुकर सत्य पाषाण है सच्चे का साथी ईश
कट कट कर मूरत भया तब जगत झुकाए शीश
नरेश मधुकर
©2014


मधुकर मन की न मानिए मन तो मस्त मलंग
मन के कहे सौ से जुड़ो एक न चले संग
नरेश मधुकर
©2014


कौन भया किसका यहाँ न करीये किसी से आस
कर्मवीर बन जी लीजीये रहिये प्रभु के दास
नरेश मधुकर
©2014


मधुकर जैसे हर सफल पुरुष के पीछे नार
हर विफल जीवन का भी कारण रहत कुनार ।।
नरेश मधुकर
©2014


हर पुरुष के पीछे खड़ी होवत है नार
जग भले तज दे उसे वही लगावे पार

नरेश मधुकर
©2014



बैर, क्रोध और ईर्ष्या इनका नहीं कोई पार
हंस कर जीवन काटिए जीवन दिन दो चार

नरेश मधुकर
©2014


स्वाभिमानी सबसे सुखी,अभिमान सी नहीं कटार
खुद को मार कर जो भी जीया सो मरे सैकड़ों बार

नरेश मधुकर
©2014


मधुकर धन का क्या करीये जब पूत भया कपूत
खुद ही सब कुछ पा लेगा वो जो पूत भया सपूत

नरेश मधुकर
© 2014


मधुकर मोह किस बात का कुछ भी न जाए संग
संयम से काटो समय देखो दुनियां के रंग ।।



मधुकर जग पापी बड़ा मत करीये अंधी प्रीत , 
सज्जन सुख नहीं पावत है दुर्जन जावत यहाँ जीत ।।

नरेश मधुकर
©2014


मधुकर जीतन सीखीये कलजुग में जीत प्रधान
जो जीते देव कहलावत है जो हारे सो हैवान ।।

नरेश मधुकर
©2014


सौ दौड़े दस जीते गए, दस ही बाटेंगे राज
दस में से इक नर्प भया, जिसका प्रबल हो भाग ।।

नरेश मधुकर
©2014


मधुकर बहुत जटिल चुकाना, मर्यादा के दाम
मर्यादा वश वन गए, लक्ष्मन सीता और राम ।।

नरेश मधुकर
©2014


मधुकर मानव यंत्र भया ,छोड़त न अपनों स्वभाव
बिच्छू बचावन वारे तक को, ज्यूँ देवत है घाव ।।

नरेश मधुकर
©2014


सभी यहाँ गणेश हैं किसको क्या सिखलाये
मधुकर मूरख देख कर बेहतर चुप हो जाएँ ।।

नरेश मधुकर 
©2014


देख दूजन को सीखिये दुःख के सभी उपाय
खुद जीकर सीखन को जीवन लघु पड़ जाय ।।

नरेश मधुकर
©2014


मैरी भयी चुनरिया, कितना कोई बचाय
दुनियां काजर कोठरी ,दाग तो लग ही जाय ।।

नरेश मधुकर
©2014