नहीं आसान सफ़र कुछ दूर तुम भी साथ चलो
बड़ा मायूस शहर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
वो वादियां वो नज़ारे कि हम मिले थे जहां
फिर बुलाती वो डगर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
जानता हूँ नहीं तुम साथ उम्र भर के लिए
फिर भी चाहता हूँ मगर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
हर तरफ भीड़ है ,उस पर ये दिल तनहा
यहीं पे ख़त्म सफ़र,कुछ दूर तुम भी साथ चलो
बेखुदी में हम हाल दिल का बयान करते रहें
तुम ही न समझे मगर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
फेर कर मूँह जब खड़ी थी ज़िन्दगी मेरी तरफ
तभी तुम आये नज़र कुछ दूर तुम भी साथ चलो
नहीं मरता कोई मधुकर फिर प्यार करने से
चलो आजमाए धीमा ज़हर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
नरेश मधुकर ©