Wednesday, January 29, 2014

पास में ...

कब रहा हैं कौन यहाँ किस की आस में 
क़ैद हैं यह ज़िंदगी खाली गिलास में 

जिनसे भी उम्मीद थी उनसे मिला नही
मिलता है मददगार अलग ही लिबास में 

बह गयी नदी घर के पास से मिरे 
भटक गए कूएँ ज़िंदगी कि प्यास में 

भूल बैठे वो हमे  समझ के कोई गैर 
बिता दी हमने ज़िंदगी उनकी तलाश में 

भटक जाओ कहीं तो पुकारना ज़रूर
चले आएंगे हम बस इक आवाज़ में

जा सको तो  जाओ घर यार के मेरे 
देख आना मेरा मक़बरा हैं पास में ...

नरेश मधुकर ©

लौट के आएगा जो मेरा है...

लौट के आएगा जो मेरा है...

घनी रात के बाद सवेरा है
नम आँखों के बीच बसेरा है...

लाख छीनना चाहे रब मुझसे 

वो लौट के आएगा जो मेरा है...

जीत के दुनिया कुछ न पा सका मै ,
 
जब से खोया साथ तेरा है

रौशनी चरागों की आँखों में चुभती है,
 
अब तो दोस्त अपना ये अँधेरा है ...

मर जाऊ सुकून से उस गोद में सर रख कर 

इतनी सी हसरत है बस इतना ही ख्वाब मेरा है ....


नरेश "मधुकर"

सिखाओ मुझको

सिखाओ मुझको


गुनाहे मोहब्बत की आखिर क्या कीमत है 
हो सके तो कोई बताओ मुझको 

जाने किस घड़ी आये थे तेरे घर की डगर 
अब तो कोई बस यहाँ से ले जाओ मुझको 

वो शोख नज़र वो मदमस्त जुल्फें और आँखें नम
है कोई और उस सा तो ज़रा दिखाओ मुझको

सिखाया है बहुत राहे जिंदगी ने कुछ ऐसा 
करो करम अब तो अपना बनाओ मुझको 

कैसे हँसते है बेवफाई से अंजान होकर 
हो सके तो कोई सिखाओ मुझको


रिश्ता है दर्द से पुराना 'मधुकर'
हो सके तो ज़रा और तड़पाओ मुझको 



© 2012 नरेश'मधुकर'

वो मेरा कभी हुआ नहीं ...

हो जाते जिसके उम्र भर 
वो हमसफ़र मिला नहीं 
उतरता कैसे यूँ भला ?
ये प्यार है नशा नहीं 

क्या यकीन करोगी तुम
क्या होगा तुमको ऐतबार
मेरा सब कुछ तुम्ही तो हो
मेरा कोई खुदा नहीं

ढूंढोगे जब भी दिलसे मुझे 
मिलूंगा मैं वहीं कहीं
याद ये रखना उम्र भर
मैं दूर हूँ जुदा नहीं 

किसी से करूँ मैं क्या शिकायत 
करूँ मैं किसी से क्या गिला 
चाहा था जिसको  उम्र भर
वो  मेरा कभी  हुआ नहीं ...

नरेश 'मधुकर'